आज फिर तेरे दर पर माथे
पटक पटककर बिलख उठा हूँपटकी हुई माथे पे झर्रे पड़गए हैं
लहू निकलना तो दूर की बात
अब आँखों से अश्क भी नहीं निकलते
मगर तुम तो ज़ालिम आँख अध मूंदे
यूँ मुस्कुराते कमर पे हाथ थामे खड़े हो
तेरी सूरत की घमंड से दिखता है कि ,
तुम मेरी मांग की इंतज़ार कर रहे हो
यूँ मुस्कुराते कमर पे हाथ थामे खड़े हो
तेरी सूरत की घमंड से दिखता है कि ,
तुम मेरी मांग की इंतज़ार कर रहे हो
मगर अपने दिल में यह गुरूर मत रखना
कि, तुम मेहरबान हों
मेहरबानी की कीमत तो सिर्फ
भिकारी के सामने होती है
भिकारी के सामने होती है
मैं कुछ माँग नहीं रहा तुम
से
बस तुम को यह बता रहा हूँ कि,
तेरी सिला की ज़हर को
एक एक घुट कैसे पी रहा हूँ
ज़हर निगलने की नौटंकी कर उसे
गले में ही दबा के रखने की तुम्हारी होशियारी से वाक़िफ हूँ मैं
मैं भी पेट तक उतरने नहीं दूँगा उसे
यह मेरी बिलखना भी झूटी हैं और तुम से भी बड़ा नौटंकी हूँ मैं
बस तुम को यह बता रहा हूँ कि,
तेरी सिला की ज़हर को
एक एक घुट कैसे पी रहा हूँ
ज़हर निगलने की नौटंकी कर उसे
गले में ही दबा के रखने की तुम्हारी होशियारी से वाक़िफ हूँ मैं
मैं भी पेट तक उतरने नहीं दूँगा उसे
यह मेरी बिलखना भी झूटी हैं और तुम से भी बड़ा नौटंकी हूँ मैं
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