Tuesday, April 8, 2014

दिल में अब

हँसी आती है हमें उन ख़्वाबों पे
जो, कभी हमें दीवाना किया  करते थे 

अंजानेपन का नजानापन ही था वो
जिसे जानने की चाह  न रखते थे

चैन की  नीन्द पाने के सपने थे वो
जो हमें रात भर जगाया करते थे

वक्त ने उतारा है सारे नकाबों को
जिन्हे हम चेहरें माना करते थे

अब दिल में  उस मंजिल की चाह नहीं है
जिस की राह में हम काँटे  चुना करते थे 

ऐ खुदा ए- ज़ालिम…… !
तुम्हारी मेहरबानी तुम्ही को मुबारक हो
जिस की चाह में हम तुम से दुवा किया करते थे

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